Tuesday, October 6, 2009

सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दील में है

सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दील में है।
देखना है ज़ोर कितना बाज़ुए कातिल में है।

करता नहीं क्यूँ दूसरा कुछ बातचीत,
देखता हूँ मैं जिसे वो चुप तेरी महफ़िल में है।
ए शहीद-ए-मुल्क-ओ-मिल्लत मैं तेरे ऊपर निसार,
अब तेरी हिम्मत का चर्चा गैर की महफ़िल में है।
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है.......

वक्त आने दे बता देंगे तुझे ए आसमान,
हम अभी से क्या बतायें क्या हमारे दिल में है।
खीच कर लायी है सब को कत्ल होने की उम्मीद,
आशिकों का आज जमघट कूचा-ए-कातिल में है।
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है......

है लिये हथियार दुश्मन ताक में बैठा उधर,
और हम तैयार हैं सीना लिये अपना इधर।
खून से खेलेंगे होली अगर वतन मुश्किल में है,
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है.....

हाथ जिनमें हो जुनून, कटते नही तलवार से,
सर जो उठ जाते हैं वो झुकते नहीं ललकार से।
और भडकेगा जो शोला सा हमारे दिल में है।
सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है

हम तो घर से निकले ही थे बांधकर सर पे कफ़न,
जान हथेली में लिये लो बढ चले हैं ये कदम।
जिंदगी तो अपनी मेहमान मौत की महफिल मैं है
सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है.....

दिल मे तूफानों की टोली और नसों में इन्कलाब
होश दुश्मन के उडा देंगे हमें रोको न आज।
दूर रह पाये जो हमसे दम कहाँ मंजिल मे है।
सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है......
-: रामप्रसाद बिस्मिल