Friday, October 8, 2010

कोई दीवाना कहता हैं

कोई दीवाना कहता हैं कोई पागल समझता है,
मगर धरती की बैचेनी को बस बादल समझता हैं।
मैं तुझसे दूर कैसा हु, तू मुझसे दूर कैसी हैं,
यह तेरा दिल समझता हैं या मेरा दिल समझता हैं।

के मोहोब्बत एक एहसासों की पावन सी कहानी हैं,
कभी कबीरा दीवाना था कभी मीरा दीवानी हैं,
यहाँ सब लोग कहते हैं मेरी आखो में आसू हैं।
जो तू समझे तो मोती हैं जो न समझे तो पानी हैं।

मत पूछ की क्याँ हाल है मेरा तेरे आगे,
तू देख के क्याँ रंग हैं तेरा मेरे आगे।

समंदर पीर का अन्दर हैं लेकिन रो नहीं सकता,
यह आसू प्यार का मोती हैं इसको खो नहीं सकता।
मेरी चाहत को दुल्हन तू बना लेना मगर सुन ले,
जो मेरा हो नहीं पाया वोह तेरा हो नहीं सकता।

भ्रमर कोई कुमुदनी पर मचल बैठा तोह हंगामा,
हमारे दिल में कोई ख्वाब पल बैठा तोह हंगामा।
अभी तक डूब कर सुनते थे सब किस्सा मोहोब्बत का,
मैं किस्से को हकीकत में बदल बैठा तोह हंगामा।

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