अभी हाल ही में "चाणक्य" सीरियल देख रहा था तो उसमे कुछ संवाद पसंद आये तो प्रस्तुत करा रहा हूँ।
"प्रेम भी तो युध्ध है जिसमे कोई योध्धा पराजित नहीं होता। "
"क्याँ तुम मुज पर विजय पाने के लिए मुझसे प्रेम करते हो। "
"मै तो तुम से कब का हार चूका हू।"
"तो क्याँ तुमने किसी स्त्री पर विजय नहीं पाई?"
"क्याँ तुम स्वयं को पराजित स्वीकार करती हो?"
"मै इतना जानती हू की मैने समर्पण किया है।"
"और मेने प्रेम।"
Sunday, November 21, 2010
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