आज थोडासा change रोज के गुजराती के बदले आज हिंदी मे।
आज ऑफिस मे गाने सुनते हुए जगजीत सिंह कि गाई हुई एक गज़ल पसंद आ गयी। खास कर पहली और आखरी कडियाँ।
मुजसे बिछड के खुश रहेते हो,
मेरी तरह तुम भी जुठे हो ।
एक टहेनी पर चाँद टिका था,
मैंने समजा तुम बैठे हो।
उजले उजले फूल खिले थे,
बिल्कुल जैसे तुम हसते हो।
मुज्को शाम बता देती है,
तुम कैसे कपडे पहेने हो।
तुम तन्हा दुनिया से लडोगे,
बच्चो सी बाते करते हो।
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